राजस्थान भौगोलिक कारणों से सदैव राजाओं के लिए केंद्र बिंदु रहा है। यहां की वादियों में आलौकिक शक्तियां तो हैं ही। मिट्टी में खजाने और कई रहस्य छुपे हुए हैं। यहां के किले और महल भी अपनी दास्तां बयां करने में पीछे नहीं है। हम बात कर रहे हैं चित्तौड़ किले की। इतिहासकारों के अनुसार सातवीं शताब्दी में मौर्य वंशीय राजा चित्रांगद ने अपने नाम पर चित्रकूट किला बनवाया था। प्राचीन सिक्कों पर एक तरफ चित्रकूट नाम अंकित मिलता है। इससे पता चलता है कि इस किले का नाम चित्रकूट था जो बाद में चित्तौड़ के नाम से जाना जाने लगा।
वास्तव में इस दुर्ग का निर्माण अभी भी विस्मय व रोमांच से भरा पड़ा है। इस किले के बारे में कई किवंदतियां हैं। कहा जाता है कि पांडवों के दूसरे भाई भीम ने इसे करीब 5000 वर्ष पूर्व बनवाया था। एक बार भीम जब संपति की खोज में निकला तो उसे रास्ते में एक योगी निर्भयनाथ व एक यति कुकड़ेश्वर से भेंट हुई। भीम ने योगी से पारस पत्थर मांगा, जिसे योगी इस शर्त पर देने को राजी हुआ कि वह इस पहाड़ी स्थान पर रातों-रात एक दुर्ग निर्माण करवा दें। अगर ऐसा होता है तो वह उसे पारस पत्थर दे देगा।
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