शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022
चंपारण से ही महात्मा गांधी का देश की राजनीति में हुआ था उदय....
मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022
भारत में सबसे ज्यादा किले कौन से राज्य में है?
भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में क़िले मौजूद हैं। इन किलों में कुछ बड़े ही भव्य है जो आज भी आकर्षण का केंद्र है और भारत में पर्यटन के मुख्य केंद्रों में गिना जाता है। आंकड़ो के अनुसार भारत के अधिकांश राज्यों में मौजूद सभी छोटे-बड़े किले को मिलाकर कुल 571 किले मौजूद हैं। राजस्थान और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे अधिक किले हैं। आज हम ऐसे ही भारत के कुछ आलीशान और एतिहासिक किलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देश की शान हैं। इसमें पहला है, राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित मेहरानगढ़ किला। यह 500 साल से भी ज्यादा पुराना और काफी बड़ा है।
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2022
इस किले के लिए हुआ था भीषण युद्ध, बही थी खून की नदियां
राजस्थान भौगोलिक कारणों से सदैव राजाओं के लिए केंद्र बिंदु रहा है। यहां की वादियों में आलौकिक शक्तियां तो हैं ही। मिट्टी में खजाने और कई रहस्य छुपे हुए हैं। यहां के किले और महल भी अपनी दास्तां बयां करने में पीछे नहीं है। हम बात कर रहे हैं चित्तौड़ किले की। इतिहासकारों के अनुसार सातवीं शताब्दी में मौर्य वंशीय राजा चित्रांगद ने अपने नाम पर चित्रकूट किला बनवाया था। प्राचीन सिक्कों पर एक तरफ चित्रकूट नाम अंकित मिलता है। इससे पता चलता है कि इस किले का नाम चित्रकूट था जो बाद में चित्तौड़ के नाम से जाना जाने लगा।
वास्तव में इस दुर्ग का निर्माण अभी भी विस्मय व रोमांच से भरा पड़ा है। इस किले के बारे में कई किवंदतियां हैं। कहा जाता है कि पांडवों के दूसरे भाई भीम ने इसे करीब 5000 वर्ष पूर्व बनवाया था। एक बार भीम जब संपति की खोज में निकला तो उसे रास्ते में एक योगी निर्भयनाथ व एक यति कुकड़ेश्वर से भेंट हुई। भीम ने योगी से पारस पत्थर मांगा, जिसे योगी इस शर्त पर देने को राजी हुआ कि वह इस पहाड़ी स्थान पर रातों-रात एक दुर्ग निर्माण करवा दें। अगर ऐसा होता है तो वह उसे पारस पत्थर दे देगा।
...आखिर क्यों इस गांव में मां के नाम से जाने जाते हैं बच्चे
हम जिस देश में रहते हैं वहां की संस्कृति और समाज सेक्स जैसे विषय पर खुलकर बात नहीं करती हैं। और जो इंसान इस पर खुलकर बोलता है उसे ही बेशर्म की संज्ञा दे दी जाती है। खासकर हमारे देश में माता-पिता भी इस बारे में बच्चों से कभी कोई बात करना पसंद नहीं करते हैं और न चाहते हैं कि इस तरह की बातें उनके बच्चे उनसे इस विषय पर कुछ पूछे। भारत ही नहीं विश्व के कई देश शादी से पहले शारीरिक संबंधों को सही नहीं मानते हैं। लेकिन आपको सुनकर हैरत होगी कि भारत में भी एक ऐसा राज्य है जहां के बच्चे मां के नाम से जाने जाते हैं। राजस्थान के जैसलमेर में "नगर वधुओं" एक ऐसा गांव है। यहां की युवतियां शादी से पहले ही कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाती है। ऐसी सूरत में बच्चे को अपने पिता का नाम पता नहीं होता है। सुनने में भले ही ये अजीब लग रहा है, लेकिन यहां की ये परंपरा है। यहां शादियों का चलन नहीं है। वहीं विश्व में एक ऐसा भी देश है जहां पर लड़की का पिता ही उससे कहता है कि वो जाकर लड़कों से मिले और अच्छा लगे तो उसके साथ रिलेशन बना लें। यह प्रथा कंबोडिया के आदिवासी समुदाय का है।
एक ऐसा गांव जहां पिता बनाता है बेटी से संबंध
पिता ही तैयार करता है बेटी के लिए झोपड़ी: शादी से पहले युवतियां पिता के कहने पर शारीरिक संबंध बनाती है। कंबोडिया के आदिवासी समुदाय में यह एक प्रथा है। प्रथा के मुताबिक जैसे ही किसी युवती को मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है तो उसे जवान मान लिया जाता है। इसके बाद पिता अपनी बेटी के लिए एक झोपड़ी तैयार करता है। इसे लव हट कहा जाता है। जिसमें लड़की आदिवासी समुदाय के लड़कों से मिलती है और अच्छा लगने पर संबंध बना लेती है। इसके बाद भी लड़की को लड़का सही नहीं लगता है तो वह उससे शादी नहीं करती है। लड़की फिर से झोपड़ी में दूसरे लड़के को बुलाती है। यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक कि लड़की को सही लड़का न मिल जाए। इसके बाद ही उसकी शादी उस लड़के से कर दी जाती है। इस तरह से एक बाप अपनी ही बेटी को कहता है कि वो एक से ज्यादा लड़कों के साथ रिलेशन बनाए।लड़कियां रिलेशन बनाने से पहले किसी तरह का गर्भनिरोधक वस्तु का इस्तेमाल नहीं करती है। ऐसे में अगर कोई लड़की गर्भवती हो जाती है और उसे वह पंसद नहीं करती है तो वह उससे शादी नहीं करती है। गर्भधारण के बावजूद लड़की जिसे पसंद करती है उससे शादी करके बच्चे को पिता के नाम से जोड़ देती है। इस गांव सिर्फ महिलाएं और बच्चे हैं:नगर बंधुओं का एक ऐसा गांव, जहां बसती हैं सिर्फ महिलाएं और उनके मासूम बच्चे। ऐसे बच्चे जो अपने बाप के नाम से नहीं बल्कि अपनी मां के नाम से जाने जाते हैं, स्कूल में भी इनके नाम के आगे मां का नाम ही लिखा हुआ है। यह गांव है राजस्थान के बाड़मेर जिले का सांवरड़ा गांव। इस गांव में साटिया जाति के करीब 70 परिवार निवास करते हैं। गांव में 132 नगर बधुएं और लगभग 45 बच्चे हैं जो गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गांव की महिलाएं अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शारीरिक संबंध बनाती है।
इस गांव में सदियों से शादी का चलन नहीं है:
इस गांव में शादी की कोई खास परंपरा नहीं है। यहां बिना शादी के ही युवतियां शारीरिक संबंध बनती हैं। यही कारण है कि गांव के बच्चे अपनी मां के नाम से जाने जाते हैं। एक एनजीओ की मदद से चार साल पहले गांव में पहली बारात आई थी तब यह निर्णय लिया गया कि बहुओं को दूसरे से शारीरिक संबंध नहीं बनाने दिया जाएगा। यह संबंध पहले समाज में थी भी जायज:युवतियों का शादी नहीं करना और एक से अधिक कई से शारीरिक संबंध बनाना समाज में जायज था। लेकिन बदलते दौर ने इस परंपरा को वेश्यावृत्ति में बदल दिया। इस वजह से यहां की युवतियों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। इतना ही नहीं युवतियों को अपने इस धंधे की कमाई का कुछ भाग टैक्स के रूप में भी अदा करना पड़ता था।
कैसे शुरू हुई ये परंपरा:
यह परंपरा 2500 साल पहले की है। जब भारत पर मौर्य वंश का राज था। तब युवतियां शादी से पूर्व ही शारीरिक संबंध बनाती थी। वे एक से अधिक लड़कों से इस तरह के संबंध रखती थी। ऐसा करना उनकी परंपरा में था। पुरुष इसके एवज में खूब धन-दौलत देते थे। ऐसा कहा जा सकता है कि युवतियों से देहव्यापार कराया जाता था। नगर के लोगों के द्वारा प्राप्त धन से इन युवतियों का कोषालय हमेशा भरा रहता था। इनकी इस कमाई का कुछ भाग राजकोष में कर के रूप में जमा कराया जाता था जिसका उपयोग राजा द्वारा अपने राज्य की भलाई में किया जाता था।
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