जयपुर. सीढ़ियों की भूल-भुलैया के लिए ख्यात दौसा के आभानेरी
कस्बा स्थित चांद बावड़ी नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में जल्द ही दुनिया
के मानचित्र पर नजर आएगी। केंद्र ने इसके प्रचार-प्रसार के लिए बजट
भी मंजूर कर दिया है। ऐसा माना जाता है कि यह बावड़ी एक रात में तैयार हुई
थी। एक बार इसमें बनी गुफा में बारात गई जो आज तक वापस नहीं आई।
इसके कायाकल्प के लिए राज्य सरकार ने भी अपने स्तर पर तैयारी की है।
इसके तहत शुरुआत में 50 लाख रुपए की लागत से इसके आसपास के अतिक्रमण हटाने
और नए रास्ते तैयार कराए जा रहे हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के सहायक
पुराविद प्रवीण सिंह के मुताबिक यहां एंट्री टिकट शुरू करने के लिए केंद्र
सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। पुरातत्व विभाग के निदेशक हृदेश कुमार ने
बताया कि यहां पर टूरिज्म की काफी संभावना है। अब तक यहां करीब 47 लाख के
काम हो चुके हैं। टूरिस्ट फैसिलिटी भी डेवलप की गई है।
गुफा
बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित गणेश एवं महिसासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। इस बावड़ी में एक गुफा भी है, जिसकी लंबाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है। कहा जाता है कि युद्ध के समय राजा एवं उनके सैनिकों द्वारा इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था।
भूल-भुलैया के लिए मशहूर
> बावड़ी में 250 एक समान सीढ़ियों की भूल-भुलैया है। कहा जाता है कि कोई सीढ़ियों पर सिक्के रखकर भी वापस आना-जाना चाहे तो चूक तय है। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आए गोविंदा ने भी इसे स्वीकारा।
> किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई।
> कहते हैं चांदबावड़ी, अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया। ये तीनों सुरंग से एक-दूसरे से जुडी हैं।
> बावड़ी में 250 एक समान सीढ़ियों की भूल-भुलैया है। कहा जाता है कि कोई सीढ़ियों पर सिक्के रखकर भी वापस आना-जाना चाहे तो चूक तय है। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आए गोविंदा ने भी इसे स्वीकारा।
> किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई।
> कहते हैं चांदबावड़ी, अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया। ये तीनों सुरंग से एक-दूसरे से जुडी हैं।
हॉलीवुड व बॉलीवुड भी नहीं रहे दूर
आभानेरी अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी छाई हुई है। अंग्रेजी
फिल्म 'द फ़ॉल' व प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म 'भूल भूलैया' सहित अन्य कई फिल्मों
की शूटिंग यहां हो चुकी है। चांद बावड़ी की सीढ़ियों पर कई कलाकार भी थिरक
चुके हैं।
यह भी खास
> बावड़ी वाटर हार्वेस्टिंग का खूबसूरत नमूना है।
> यह धरोहर देश की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी में शुमार है।
> यहां के राजा चांद ने 8वीं सदी में इसे बनवाया था।
> बावड़ी वाटर हार्वेस्टिंग का खूबसूरत नमूना है।
> यह धरोहर देश की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी में शुमार है।
> यहां के राजा चांद ने 8वीं सदी में इसे बनवाया था।
> बावड़ी में बेहद खूबसूरत भित्ति चित्र बने हुए हैं।
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